आह!
अच्छा होता यदि
ईश्वर की भी
कोई माँ होती
उसे समझा सकती
अपने से छोटे बच्चों को
क्रीड़ा-वस्तु देकर
छीन नहीं लिया करते
हम भी परिवाद कर सकते
बड़ी माँ, दद्दा बहुत निष्ठुर हैं !
टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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