Tuesday, 1 September 2020

विदा



एक पोटली के
सिरों को कस दो
एक छोटा सा मुख
शेष रहता है
वो शब्द है
विदा...!

अनगिनत शब्द
संवेदनायें अपरिमेय
अथाह भाव-आवेश
मानस-पोटली में 
धरे रह जाते है
अधर बुदबुदा देते हैं
विदा...!

टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 




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