एक अंतिम क्षण आया
जब मुझे लगा तुम्हारा प्रेम
गला देगा मुझे
एक अम्ल की भांति
मैंने प्रतिशोध लिया
हर दिन, हर क्षण
हर काल में, हर हाल में
तुम्हें और अधिक प्रेम करके
प्रेम-प्रतिशोध ताप की तरह चढ़ता है
सारे दंभ-अहं विषाणुओं के नाश के लिये
काश संसार के सारे प्रतिशोध यूँ ही लिये जाते !
~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
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