मृत्यु
मात्र एक ब्लैक होल से
बढ़कर कुछ नहीं
काल कोठरी में जाकर
सब एक समान हो जाते हैं
जैसे अन्धकार में लुप्तलोचन
अंतर मात्र इतना रहा
स्याह-काल में प्रवेश से पहले
कौन कितना सुदीप्त रहा !
~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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