Monday 9 November 2020

जीवन क्या है (कविता)



हे एकांतप्रिय अरण्यवासी !
मुझे मत बताओ
संसार असार है,
जीवन एक रिक्त स्वपन के अतिरिक्त 
कुछ भी नहीं।

मुझे मत बताओ
जीवन अवास्तविक है,
आत्मा अजर अमर है
और मृदा अणुओं में गल कर मिल जाना
उसका लक्ष्य नहीं। 

मुझे मत बताओ
समय क्षणभंगुर है,
आनंद या शोक में विगलित होना
शरीर का संस्कार है
आत्मा का नहीं

जीवन से पलायन कर 
आत्मा को पल्लवित करने की 
मोक्ष के पुरस्कार को पा लेने की
मेरी कोई इच्छा नहीं


किसी अभावग्रस्त बच्चे की 
उदास हथेली पर 
अपने श्रम से कमाये 
दो सिक्के रखकर 
उसके शोक को मोक्ष देना 
है मुझे अधिक प्रिय !

टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

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