कुछ हाथ
अकर्मण्य भटकते रहते है
लकीरों की बंद वीथिकाओं में
कुछ अवसरों के
भाग्य में लिखा होता है
द्वार खटखटा कर प्रतीक्षा करते रहना
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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