नक्शे लेकर बैठता
सिर झुकाये जाने क्या बुदबुदाता
सिकन्दर उदास था
उसके पास नहीं बचे
और देश जीतने के लिये
बस इसीलिए उदासी को
शुरू होते ही ख़त्म कर देना चाहिए!
ये पूरा ब्रह्माण्ड लील जायेगी
फिर भी तुम ख़ुश न हो सकोगे!
~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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