Wednesday, 11 August 2021

पीड़ा की कक्षा में

पीड़ा की कक्षा में 
हम दोनों ही विद्यार्थी थे
परीक्षा थी
मेरे दर्द सहने की
उसकी मुझे दर्द सहते देखने की!
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~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ

Sunday, 8 August 2021

घड़ी

बस चाभी भर दो
चौबीस घण्टे टिक-टिक
चलती रहेगी
घड़ी नहीं जानती 
कार्य के घण्टे होते हैं
बस आठ!

वो बिन चाभी की एक घड़ी है..
स्त्री भी कहाँ जानती है!
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~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

Monday, 2 August 2021

कुछ स्त्रियाँ

कुछ स्त्रियाँ 
पुरुषों के पदचिन्हों पर
चलते हुये,भरती हैं
उनके कदमों की धूल
अपनी माँग में !
कुछ स्त्रियाँ
पुरूषों से परे हटकर
छापती हैं अपने पदचिन्ह,
माँग में सिंदूर से अधिक
उन्हें भाती है
बिवाइयों में धूल !
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~ टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।

रेत के घर

दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर  माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...