Friday, 29 December 2017

प्रेम का सूत्र

प्रेम का सूत्र

उस तक पहुंचना हो तो
समय बराबर दूरी बटे चाल नही होता

चाल भी तेज रखो
दूरी भी कितनी कम क्यों न हो

पर समय कितना लगेगा
कोई सूत्र गणना नही कर सकता।
Twinkle Tomar


Monday, 25 December 2017

Happy Christmas

वो क्रिसमस का पेड़ है।
वो भी इंसानों की तरह अपने प्रतिरूप तैयार करता है।
पर क्या है न, वो अपने बच्चों को बता देता है, कि उनका धर्म ईसाई है।

और हम अपने बच्चों को बताते है तुम्हारा धर्म ईसाई नहीं है, फिर भी मिशनरीज में पढ़ाने भेज देते है।
और लाखों रूपये फीस आहें भरते हुए देते है।

मेरे माता पिता क्रिसमस नहीं मनाते थे। हम लोग भी नहीं मनाते है।पर आज जिस तरह चारों ओर उल्लास के साथ क्रिसमस मनाते हुए लोग दिखते है, जरा सोचा क्यों?
मत भेजिये अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ने या मिशनरीज में पढ़ने। क्योंकि वो ईसाई मानसिकता की फसल उगाते है।

बच्चों को सही गलत या धर्म का अंतर नही पता होता।
उन्हें आपने जिस स्कूल में पढ़ने भेजा वहां की हर एक बात उनके लिये अंतिम सत्य है।

मेरी बहन की बेटी अपने पहले जन्मदिन पर मिशनरी हॉस्पिटल में एडमिट थी।हमने उसके जन्मदिन पर भगवान को लड्डू चढ़ाये और हॉस्पिटल स्टाफ में बांटने चाहे। क्रिश्चयन नर्सेस ने लेने से मना कर दिया। भावहीन चेहरे के साथ उन्होंने साफ कह दिया हम लोग ये प्रसाद नही ले सकते।

वो प्रसाद तक नही ले सकते।और हम इतने सहिष्णु है कि उनका त्योहार भी उल्लास से मना रहे हैं अपने बच्चों की खुशी के लिये।क्रिसमस धर्म से परे बच्चों के लिये एक उत्सव है। सांता कैप पहन के घूमना और रात में सांता के सरप्राइज गिफ्ट का इंतज़ार करना।वो किसी और चश्मे से देख ही नही सकते।

ये हमारा ही दोगलापन है, एक तरफ अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में पढ़ने भेजेंगे और दूसरी तरफ फ़ेसबुक पर होहल्ला करेगें क्रिसमस हमारा त्योहार नही है।
Twinkle Tomar 

Tuesday, 19 December 2017

दर्द के झरोखे से

कितने दफ़ा/न मालूम/ये धरा धुरी पर घूम गयी
कुछ किरचें/पांव के नीचे जमा थी/जमी ही रही

#दर्द_के_झरोखे_से

Twinkle Tomar

Wednesday, 13 December 2017

रेनकोट

रेनकोट
एक घंटे इंतज़ार किया। बारिश थमने का नाम ही नही ले रही।दिल कड़ा किया, दुपट्टे से खुद को अच्छी तरह लपेटा। बारिश से नही पर लोगों की नज़रों के ओलों से तो बचा ही लेगा।
एक्टिवा की चाभी पर उंगलियां फिराई, जैसे उन्हें सांत्वना दे रही हूँ, बस 25 मिनट की ही तो बात है फिर घर आ जायेगा।जी कड़ा कर के चल ही दी।
3-4 मिनट में ही बारिश ने पूरी और बुरी तरह भिगो दिया।बारिश की तेज बूंदे आलपिनों की बौछार जैसे चुभ रही है। ठंडी हवा बैरन बनी है।दांत किटकिटाते जा रहे है।जब इतना भीग ही गयी हूँ तो अब रुकने का क्या फायदा।
काश रेनकोट होता आज साथ !
ऑपरेशन के बाद एनेस्थेसिया से अभी आधी ही बाहर आयी हूँ, समय का बोध नही हो पा रहा। कहाँ हूँ, कौन हूँ। ये सब अजनबी लोग कौन है मेरे चारों ओर। तभी स्ट्रेचर पर लेटे लेटे ही ऊपर सामने तुम्हारा चेहरा दिखता है।तुम्हारी आवाज़ आती है कानों में।
"टिया..मैं हूँ..सब ठीक है !!"
और मैं निश्चिंत होकर आंखें मूंद लेती हूँ।
अजीब सा नशा है ।आधी जगी हूँ आधी सोयी हुयी हूँ।चेतन हूँ.... अचेतन हूँ ....कुछ बोध नही।
शरीर सूक्ष्म बन गया है उड़ा जा रहा है।सपना है या सच है कुछ पता नही चल रहा....
बहुत तेज़ बारिश हो रही है....
पर मैं मुस्कुरा रही हूँ..क्योंकि मैंने रेनकोट पहना हुआ है।


Twinkle  Tomar

रेत के घर

दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर  माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...