Tuesday 24 April 2018

आत्महत्या

आत्महत्या



(तीन सहेलियां हैं सरला, विमला ,कमला। तीनों पति चाहती है राम जैसा, पर घर में महाभारत पसरी रहती है।)

सरला- रोज़ रोज़ की खिटपिट से त्रस्त हो गयी हूँ। इनका रवैया ऐसा है कि जी करता है सल्फास खा के मर जाऊं।

विमला - अरे बहन,सल्फास की गोली खा के मरने से तो बहुत तकलीफ होती है। कहते है पूरे शरीर में इतनी जलन होती है जैसे आग लग गयी हो।

कमला - अच्छा तभी ज़्यादातर लोग पंखे से लटक कर फांसी लगा लेते है। ऐसे मरना आसान होता होगा।

सरला - अरे नही जी। उसमें तो और बदतर स्थिति हो जाती है।जैसे ही गला कसता है,हाथ पीछे चले जाते है।आदमी चाह कर भी फंदा ढीला नही कर पाता ।

कमला - हे राम !

विमला - अरे और तो और उसमें न ,आँखें बाहर आ जाती है। चेहरा बड़ा भयानक हो जाता है।

कमला - न बाबा न ,तब तो बेकार है। पूरी जिंदगी चेहरे को क्रीम पाउडर बिंदी लाली से सुंदर बना कर रखा। अंतिम समय में ऐसी उबली हुई आंखे क्यों दिखाना कि पति याद करते भी डरे।

विमला - इससे अच्छा तो फिर गाड़ी के नीचे कट के मर जाया जाये।

कमला - क्या बात कर रही हो बहन। इसमें तो मरने की पूरी गारंटी ही नही है। कहीं सिर्फ पैर कट गए और समूचे बच गए तो जिंदगी बर्बाद हो जाएगी।

सरला - हाँ ये तो है।

विमला - अब देखो कुछ लोग कई मंजिल ऊपर से कूद जाते है। उसमें भी कोई बचता है कोई नही।

सरला - देखो भाई ,ऊपर से कूदने का साहस भी बड़ी चीज है। सबके पास कहाँ होता है? मुझे तो वैसे भी vertigo की समस्या है।

कमला - अरे यार ,सब में ही कुछ न कुछ समस्या है। सरला बहन इससे तो अच्छा यही है। घरवाले से चाहे जितनी खिटपिट हो, घुट घुट के रोज़ मरना ही बेहतर है।

(तीनों ठंडी आहें भरकर नियति को स्वीकार कर लेती है।)
Twinkle Tomar 

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