Tuesday, 2 October 2018

जिम्मेदारियां


जिम्मेदारियां

गीता के श्लोक पूरे घर में गूंज रहे थे। पंडित जी व्याख्या करके बता रहे थे - जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों का त्याग करके नये वस्त्रों को अपनाता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने शरीर का त्याग करकेे नवीन शरीर धारण करती है।

अश्रुपूर्ण आंखों से सौम्या पंडित जी के निर्देशानुसार सारी रीतियां निभाती जा रही थी। उसकी सास जब तक जीवित थीं, उसे अपनी बेटी की तरह प्यार करती थीं। उनके रहने से उसे गृहस्थी के अधिकतर कामकाजों के बारे में कोई जानकारी ही नही रहती थी। लेकिन आज पूरे घर में हर काम के लिये बस उसे ही पुकारा जा रहा था।

उसे अनुभव हुआ केवल आत्मा ही नही जिम्मेदारियां भी शरीर बदल लेती हैं। ये पुराने व्यक्ति को त्याग कर नये उत्तराधिकारी को राजमुकुट पहना देती हैं।

Twinkle Tomar Singh

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