उसे जाने दिया मैंने अंदर।
कुछ रेज़गारी लेकर वो आया था। यूनिफार्म पहने बच्चों की पंक्ति में अकेला वही मैले कुचैले कपड़ों में अलग नज़र आ रहा था।
बाहर दुनिया उसे अजूबा समझ रही थी। और उसे अंदर अजायबघर में अजूबे देखने थे।
Twinkle Tomar Singh
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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