Monday, 4 February 2019

दोस्ती का रंग

अमरूद होता था एक
फाँकें कटती थीं चार
तबियत हरी हो जाती थी

चिट बनती थी एक
गुजरती थी हाथों से चार
पीठ स्केल से नीली हो जाती थी

छुट्टी होती थी एक
दिन भर खेलते रहते थे चार
मम्मी लाल पीली हो जाती थीं

बाइक होती थी एक
सवार हो जाते थे चार
ट्रैफिक पुलिस लाल हो जाती थी

लड़की होती थी एक
प्रपोज कर आते थे चार
चेहरे की रंगत गुलाबी हो जाती थी

चौराहा होता था एक
मिलती थी राहें आके चार
शामें सुनहरी हो जाती थीं

अजी दोस्ती का रंग हमसे पूछिये !

Twinkle Tomar Singh

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