"अरे ये क्या...इतने सारे गुलाब?" पत्नी दरवाजे पर ही भौंचक खड़ी रह गयी।
शाम को काम से वापस आये पति ने बड़े प्यार से पत्नी के हाथ में लाल गुलाब के फूलों का एक सुंदर सा गुच्छा थमा दिया था।
"हां...आज कुछ रोज़ डे है। सब गुलाब के फूल खरीद रहे थे। तो मैंने भी ले लिये।" साइकिल दीवार से लगाते हुये उसने कुछ सकुचाते हुये और कुछ शरमाते हुये कहा।
आज पता नही क्या ख़ास बात थी। सब गुलाब के फूल खरीद रहे थे। फूल वाले भैया से उसने पूछा तो पता चला आज कोई विशेष नये चलन का त्योहार है - रोज़ डे, जो बड़े लोग मनाते हैं। दूसरों को देखकर उसे भी शौक जागा था इसलिये उसने अपनी पत्नी के लिये भी गुलाब के फूल ले लिये थे। वैसे भी उसके लिये कभी कहाँ कुछ खरीद पाता है। शादी के बाद से ही उसके लिये एक जोड़ी पायल खरीदने का मन बना रहा है, पर मजदूरी में इतनी बरकत ही नही हो पाती है। काम मिला तो मिला,नही मिला तो नही मिला।
पत्नी के अंदर बसी प्रेमिका की आत्मा ने लाल गुलाबों में बसी प्यार की लाली को महसूस कर लिया था। खींच कर भरपूर खुशबु भर ली उसने अपनी सांसों में । उसके मन के हर कोने पर बौर आ गयी। अचानक से उसे महसूस हुआ जैसे कि वो किसी फ़िल्म की हीरोइन है, और उसका पति हीरो अक्षय कुमार के माफ़िक......पर दूसरे ही पल वो अपनी वास्तविकता की दुनिया में वापस आ गयी। तुरंत ही उसके अंदर की गृहस्थन कमर में पल्लू खोंस कर खड़ी हो गयी।
एक गहरी ठंडी सांस उसने भरी। उसे परिवार के और चार लोगों की खुशियों का भी तो ध्यान रखना था। एक आह के साथ उसने गुलदस्ता चारपाई के नीचे एक किनारे सावधानी से छुपाते हुये कहा- "अरे गुलाब तो कल तक सूख जायेंगे ही। इनका क्या फ़ायदा। तुम गुलाब जामुन ले आते तो ज़्यादा ठीक था। रोज़ डे - फोज डे से तो अच्छा होता हम अम्मा- बाबूजी और बच्चों के साथ "गुलाब जामुन डे" मना लेते।
Twinkle Tomar Singh
No comments:
Post a Comment