Wednesday, 13 March 2019

भूसी भी कीमती है

"बुआ इस उम्र में भी इतनी मेहनत करती हो। बड़िया अचार पापड़ ख़ुद बना बना के बेचती हो। तुम्हारे बेटे नही है क्या ?" रमैया बुआ बड़ी तेजी से सूप में दाल को फटक कर भूसी कंकड़ अलग कर रहीं थीं।

मैं इस शहर में अभी कुछ दिन पहले ही पढाई करने के लिये आयी थी। बगल की छत पर अक्सर रमैया बुआ बड़ी, पापड़, आचार सुखाते हुए देखती थी। एक दिन रहा नही गया और उनसे ये प्रश्न पूछ ही डाला।

रमैया बुआ ने सर उठा कर मेरी ओर देखा फिर अपने सूप को फटकारने में व्यस्त हो गयीं , सर नीचे किये किये ही बड़े शांत ढंग से उन्होंने जवाब दिया - "हैं क्यों नही। बड़े शहर चले गये है सब।"

अब तो मेरी जिज्ञासा और जाग गयी। "तो तुम क्यों नही गयीं उनके साथ।"

"गयी थी एक बार कुछ महीनों के लिये। बहु को बेटा हुआ था तो लड़का आकर बुला ले गया था।" बिना किसी जोश के रमैया बुआ ने दाल से कंकड़ बीनते हुये उत्तर दिया।

"फिर वापस क्यों आ गयीं? वहीं रहतीं पोता भी खिलाती मन भी बहला रहता ।" ज्यादा कचोटना अच्छा तो नही लग रहा था, पर नारी मन अपनी खुजली दूर किये बिना शांत भी नही हो सकता न।

"देखो बेटा, जिस भूसी को गाय बड़े मन से खाती है वही भूसी अगर अन्न के साथ मिल जाये तो किसी काम की नही रहती। उसे बेकार समझ कर फटक कर निकाल दिया जाता है। ऐसे ही इंसान को भी अपनी कीमत का खुद अंदाज़ा होना चाहिये। " ऐसा लगा रमैया बुआ का दिल मैंने दुखा दिया था।

" माफ़ करना बुआ। मेरा आपका दिल दुखाने का कोई इरादा नही था।" मैंने तुरंत अपनी गलती सुधारनी चाही।

अरे बेटा, ऐसी कोई बात नही। मन जहाँ भी रमे वही खुशी मिल जाती है।  मेहनत वहाँ भी दिनभर करनी पड़ती थी। यहाँ करती हूँ तो चार पैसे तो हाथ आते हैं। वहाँ न पैसे हाथ में मिलते थे, न नाम मिलता था, ऊपर से घर और पोते की देखभाल में कोई कमी रह जाये तो बेटे से डाँट मिलती थी वो अलग। जीवन के अंतिम पड़ाव में हूँ, उनके लिये मैं भूसी समान ही सही मेरा भी अपना कोई वजूद है, कोई कीमत है,
जो थोड़ा बहुत कमाती हूँ उतनी ही सही। " रमैया बुआ के चेहरे पर आत्मसम्मान का दर्प चमक रहा था।
Twinkle Tomar Singh

1 comment:

  1. मैंने भी साफ़ किया पर अपनी कला से अवगत कारते हुए
    आपकी उस पोस्ट पर अपनी पहली लघु-फ़िल्म लाया है हमने।
    "सोच-आलय"
    इस फ़िल्म के शूटिंग के दौरान हमने यात्रियों को एक फ़िल्म से जुड़ा संदेश भी दिया।
    लिंक- https://youtu.be/CAsBw92bWv0
    ख़ूब सारा प्यार व आशीर्वाद दें।
    अच्छा लगे तो सबसे साझा करें🙏
    - राणा अंशुमन सिंह (अंश सिसोदिया)
    फ़िल्म निर्देशक
    सिसोदिया फ़िल्मस, वाराणसी

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