Thursday, 11 April 2019

होंठ पराये मुस्कान अपनी


"मौसी, पौधा बेकार में लगा रही हो। जब तक इसमें फूल आयेंगे तुम अपने बेटे के पास अमेरिका में होगी।"

"बिटिया कभी कभी होंठ पराये होते हैं, पर मुस्कान अपनी होती है।"

मैं पराई ही तो थी उनके लिये...नौकरानी की बेटी। मौसी को भगवान के पास पहुँचे दो वर्ष हो चुके। आज मेरे इक्कीसवें जन्मदिन पर बैंक से मैसेज आया है- मिसेज़ राठौर के द्वारा शुरू की गई सुकन्या योजना में निवेश मैच्योर हो गया है। आप धन निकाल सकती हैं।

मौसी के पौधे में ढेर सारे फूल खिले थे। उनमें मौसी मुस्कुरा रहीं थीं...मेरी खुशियों की शुरुआत देखकर।

Twinkle Tomar Singh

No comments:

Post a Comment

रेत के घर

दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर  माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...