Friday 17 May 2019

ठग है परमपिता

अरे तुम तो बड़े हो
जिद नही करते
खेल खिलौने से तो
छोटे बच्चे खेलते हैं
पिता ने बहलाया है
ऐसे कई बार

अरे तुम्हारा जन्म तो
बड़े लक्ष्य के लिये है
कुछ लोगों को
छोटे छोटे सुखों से
वंचित कर देते है
परमपिता भी बहला कर

ठग विद्या में पिता से
बहुत आगे है परमपिता

Twinkle Tomar Singh

No comments:

Post a Comment

द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...