Friday 12 July 2019

छतरी वर्सेस छत्र

इस दुनिया में इंसान के पास अलग अलग तरह के छत्र है।जी हाँ छतरी नही 'छत्र' जैसे राजा महाराजाओं के पीछे उनके अर्दली सर पर तान कर चलते हैं,ठीक वैसे ही छत्र। किसी से पास धन-अहंकार का छत्र है,किसी के पास विद्वता-घमण्ड का छत्र तो किसी के पास सौंदर्य-अहम का छत्र।हर कोई इस छत्र को ऊँचे से ऊँचे टाँग देना चाहता है।एक अजीब सी दौड़ है।सारा आकाश ऊँचाइयों पर पहुंचने की होड़ लेते छत्रों से भर गया है।
वो ऊपर बैठा मुस्कुरा कर देखता रहता है,तुम्हारे हर तने छत्र को उसने अपनी नीली छतरी से जो ढक रखा है।

No comments:

Post a Comment

द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...