इस दुनिया में इंसान के पास अलग अलग तरह के छत्र है।जी हाँ छतरी नही 'छत्र' जैसे राजा महाराजाओं के पीछे उनके अर्दली सर पर तान कर चलते हैं,ठीक वैसे ही छत्र। किसी से पास धन-अहंकार का छत्र है,किसी के पास विद्वता-घमण्ड का छत्र तो किसी के पास सौंदर्य-अहम का छत्र।हर कोई इस छत्र को ऊँचे से ऊँचे टाँग देना चाहता है।एक अजीब सी दौड़ है।सारा आकाश ऊँचाइयों पर पहुंचने की होड़ लेते छत्रों से भर गया है।
वो ऊपर बैठा मुस्कुरा कर देखता रहता है,तुम्हारे हर तने छत्र को उसने अपनी नीली छतरी से जो ढक रखा है।
Friday 12 July 2019
छतरी वर्सेस छत्र
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
द्वार
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
-
छल ढूँढता है अपने से निर्बल धोखाधड़ी के लिए पर प्रेम में उससे सशक्त रहकर भी तुम छल ली जाओगी स्त्रियाँ जुआ खेलती हैं प्रेम की चौपड़ पर सोने की...
-
वह प्रेम में था उसने कहा तुम नहीं जानती हो तुम क्या हो.. उसने बहुत प्रयास किया फिर वह जान गई 'मैं क्या हूँ..' अब उसने कहा तुम अहंक...
-
रैंप पर योगिनी ------------------------ वो ऊपर की सीढ़ियों से धड़-धड़ करते हुए उतरी। एक खाली तसले के साथ जिसमें नीचे से उसे बालू या मसाला या गि...
No comments:
Post a Comment