एक विदा-पुष्प
तुम्हारे नाम का
नदी में
प्रवाहित करने से पहले
तौल लिया था
अपने रिक्त मन का भार
तुला में इस ओर
अब जितना भी
भारी रहे मन
उस ओर नही रखूँगी
तुमसे आस का कोई बाट
ये वचन दिया !
©® टि्वंकल तोमर सिंह
दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...
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