"साहेब,आप क्या करते हैं?"नदी की सैर करने आये सैलानी से गवाँर नाववाले ने पूछा।
"मैं पायलट हूँ।" आँखों पर काला चश्मा चढ़ाये, सफेद शर्ट पहने साहेब ने अदब से संक्षिप्त सा उत्तर दिया,जैसे कि कहीं इससे ज़्यादा उस गवाँर से कुछ बात कर ली तो तौहीन ही जायेगी।
चार महीने बाद उन्हीं पायलट का हवाई जहाज एक दुर्घटना का शिकार होकर एक नदी में गिर गया।नदी में उतराते पायलट को एक नाववाले ने अपना हाथ दिया,"सर,जल्दी से ऊपर आइये।"
अर्धमूर्छित पायलट को आज एक गवाँर नाववाला नही बल्कि एक फ़रिश्ता दिख रहा था।
©® Twinkle Tomar Singh
No comments:
Post a Comment