वो तुम्हारे सीने पर
अपना सिर रखकर
बेख़ौफ़ सो रही थी
उसे आवाक छोड़कर…
तुम चल दिये ऐसे
खेल रास न आये तो
बच्चे खेल बिगाड़ कर
चल देते हैं जैसे
©® टि्वंकल तोमर सिंह
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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