किसी क्षुधाग्रस्त बालक के
सूखते होठों के पीछे
चली आने वाली
तृप्ति की आभास वो
पा लेती थी
किसी शोकग्रस्त मानवी के
टपकते आँसुओं के पीछे
चलकर आने वाले
उल्लास की पदचाप वो
सुन लेती थी
किसी प्रेमातुर मनु के
काम भरे अक्षुओं के पीछे
अनुसरण करने वाली
स्नेह की प्रतिछाया वो
देख लेती थी
उसके समाधि लेख पर
बस इतना लिखा था
ये शयन कक्ष है उसका
जिसे ममता ने
जीवन भर विश्राम
नही करने दिया !
©® टि्वंकल तोमर सिंह
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