Thursday, 19 September 2019

समाधि लेख


किसी क्षुधाग्रस्त बालक के
सूखते होठों के पीछे
चली आने वाली
तृप्ति की आभास वो
पा लेती थी

किसी शोकग्रस्त मानवी के
टपकते आँसुओं के पीछे
चलकर आने वाले
उल्लास की पदचाप वो
सुन लेती थी

किसी प्रेमातुर मनु के
काम भरे अक्षुओं के पीछे
अनुसरण करने वाली
स्नेह की प्रतिछाया वो
देख लेती थी

उसके समाधि लेख पर
बस इतना लिखा था
ये शयन कक्ष है उसका
जिसे ममता ने
जीवन भर विश्राम
नही करने दिया !

©® टि्वंकल तोमर सिंह

No comments:

Post a Comment

रेत के घर

दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर  माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...