Sunday 13 October 2019

अरे मोरा सैया सायको

कल रात को मैंने एक बड़ी ज़ोरदार रोमांटिक फ़िल्म देखी जिसमें हीरो हीरोइन में सच्चा वाला प्यार हो जाता है फिर वो विवाह के बंधन में बंध जाते हैं। फिर उसके बाद शुरू होते है उनके बीच पति पत्नी वाले झगड़े। और फिर आख़िर में पत्नी का एक्सीडेंट होता है, पति को उसकी अहमियत पता चलती है। वो उसे बेतहाशा मिस करने लगता है। फिर आख़िर में सब कुछ ठीक होकर फ़िल्म ख़त्म ही जाती है।

अब आप पूछेंगे इसमें क्या ख़ास बात है। तो ख़ास बात ये है कि मुझे भी अचानक ने अपने बगल में सोये हुये आधे से ज़्यादा बिस्तर पर कब्ज़ा किये हुये पति पर बेतहाशा प्यार आने लगा। जैसे लगा कि भगवान ने मेरी आँखें खोल दीं क्यों तू बेकार में पति से छोटी छोटी बातों पर लड़ती है? दुनिया तो आनी जानी है। कल क्या हो किसको पता? इसलिये हे नारी! सारे अहँकार मिटा दे और आज से सिर्फ और सिर्फ अपने पति को समर्पित हो जा। नो झगड़ा नो लड़ाई !

तो दूसरे दिन मैं समय पर उठ कर चाय बना कर अपने कमरे में ले आयी। पति अभी बिस्तर से उठे भी नहीं थे। मुझे ऐसे आँखे फाड़ फाड़ कर देखने लगे जैसे मैं नहीं पड़ोसी की पत्नी सुबह सुबह उनके लिये चाय बना कर लायी हो। " क्या हुआ ?" मैंने अभिमान वाली जया भादुड़ी की तरह अपने गीले बालों को झटकते हुये अदा के साथ कहा। पहले तो जो पानी की बूंदे उनकी नाक में अवैध रूप से घुस गयीं उसके कारण उन्हें दस नॉनस्टॉप छींकों का जुर्माना भरना पड़ा। और मुझे अपने फ़िल्मी रोमांस का कचरा होते दिख रहा था। पर मैंने अपनी जया भादुड़ी सरीखी मुस्कान को कतई धूमिल नहीं होने दिया।

पतिदेव थोड़ा संभले फिर बोले - "सब ठीक तो है तुम्हारे मैके में?" मैं सोच रही थी कि अभी ये अमिताभ की तरह मुझे अपने पास खींच लेंगे और कहाँ इन्होंने ऐसा बकवास का प्रश्न दाग कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिया। " क्यों मायके का क्या लेना देना इस सुबह की चाय से?" मैंने खीज छुपाने का पूरा पूरा प्रयास किया।

" अरे वो मुझे लगा कि तुम अपने मायके जा रही हो इसलिये इतनी जल्दी तैयार होकर टिप टॉप होकर बैठी हो। वर्ना सुबह दस आवाज़ देने से पहले कहाँ एक कप चाय नसीब होती है।" पति ने अख़बार उठाते हुये कहा जो मैं फ़िल्मी स्टाइल में ट्रे में रखकर लायी थी।

सच बोलूँ तो अंदर ईगो हर्ट हो ही गया था। पर उसे फिर बच्चे की तरह पुचकार कर चुप बैठा दिया। " अरे नहीं अभी कहाँ कोई मौसम है मायके जाने का। कोई शादी ब्याह नहीं पड़ना अभी। कोई भाई बहन भी नहीं लौट रहे वहाँ।" मैंने नकली मुस्कान से अपने चेहरे को सुंदर बनाये रखने का भरकस प्रयास किया। सच कहूँ तो बड़ा बुरा लग रहा था, दस मिनट हो गये थे पर प्रेम के दो बोल न निकले उन दरार पड़े होंठों से।

"अच्छा, तो फिर क्या किसी सहेली के साथ घूमने जाने का प्रोग्राम है?" निर्विकार भाव लिये सपाट चेहरे से एक और प्रश्न आया।

अब तो जले पर नमक हो गया ये तो। हद हो गयी पिज़्ज़े में एक्स्ट्रा चीज़ झट से नज़र आ जाती है। और मेरी आँखों में उन्हें अपने लिये ये प्यार का एक्स्ट्रा डोज़ अभी तक नज़र ही नहीं आया?

" नहीं जी। बात ये है कि आज से मैंने सोचा है कि तुमसे कभी किसी बात पर झगड़ा नहीं करूँगी। अरे ज़िन्दगी दो दिन की है कब क्या हो जाये क्या पता।" शर्माते हुये मैंने सारे इमोशन्स अपने शब्दों में उंडेल दिये थे। " जानते हो,आई लव यू सो मच।"

इसके बाद जो उन्होंने किया आप ही बताइए क्या किसी पति को ऐसा करना शोभा देता है? मेरी ओर पांच सेकेंड तक उन्होंने सशंकित नज़रों से ऐसे देखा जैसे कि इमरान खान मोदी के पास शांति वार्ता का प्रस्ताव लेकर आये हो। फिर अचानक से वो बिस्तर से कूद कर उठे। बेड के बगल के स्टूल पर रखे हुये अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को उन्होंने बीनकर तुरन्त अपने पर्स में रखे, पर्स पड़ोस में खड़ी अपनी अलमारी में सुरक्षित स्थान पर रखकर उसे लॉक करके चाभी अपनी जेब में डाल कर बैठ गये। और फिर चाय का कप अपने हाथ में लेते हुये बोले- "आई लव यू टू।"

©® टि्वंकल तोमर सिंह

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