कम्पास का कांटा
उत्तर की ओर लगा रहा
जहाज के कप्तान को
दिशा भूलने का भय नहीं
मन में पड़ा एक कांटा
उसकी ओर लगा रहा
पोखर में डोली उसकी नाव
हर दिशा अस्थिर ही रही
©® टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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