धारा के विपरीत
धारा के साथ वाले सवाल
तब न समझ में आते थे
न ही हल होते है
अब समझ में ख़ूब आते है
पर हल अब भी नही होते
~ टि्वंकल तोमर सिंह
1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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