बिन समर्पण हर कार्य व्यर्थ है, कुछ इस तरह जैसे बेगार मजदूर बेमन ईटें ढोता है, इमारत की बुलंदी उसके लिये कोई आनंद नहीं लाती।
टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...
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