Wednesday 16 September 2020

समर्पण

बिन समर्पण हर कार्य व्यर्थ है, कुछ इस तरह जैसे बेगार मजदूर बेमन ईटें ढोता है, इमारत की बुलंदी उसके लिये कोई आनंद नहीं लाती। 


टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

No comments:

Post a Comment

द्वार

1. नौ द्वारों के मध्य  प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...