ये जो तुमको
जोड़े रखने में
दिन पर दिन वो
व्यय हो रही है
विनिपात तक उसके
छूछे कोष-सन्दूक की
थाती संजोने लायक
तुम्हारी हृदय-भंडरिया में
धैर्य-धन तो रहेगा न ?
~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
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दीवाली पर कुछ घरों में दिखते हैं छोटे छोटे प्यारे प्यारे मिट्टी के घर माँ से पूछते हम क्यों नहीं बनाते ऐसे घर? माँ कहतीं हमें विरासत में नह...
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