ये जो तुमको
जोड़े रखने में
दिन पर दिन वो
व्यय हो रही है
विनिपात तक उसके
छूछे कोष-सन्दूक की
थाती संजोने लायक
तुम्हारी हृदय-भंडरिया में
धैर्य-धन तो रहेगा न ?
~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।
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1. नौ द्वारों के मध्य प्रतीक्षारत एक पंछी किस द्वार से आगमन किस द्वार से निर्गमन नहीं पता 2. कहते हैं संयोग एक बार ठक-ठक करता है फिर मुड़ कर...
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