Sunday, 20 September 2020

प्रेम-निवेश

ये जो तुमको 
जोड़े रखने में
दिन पर दिन वो
व्यय हो रही है

विनिपात तक उसके
छूछे कोष-सन्दूक की 
थाती संजोने लायक
तुम्हारी हृदय-भंडरिया में 
धैर्य-धन तो रहेगा न ? 

~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 
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