Monday, 19 October 2020

डेबिट कार्ड फ्रॉड

सामान्यतः मुझे नकदी की आवश्यकता पड़ती ही नहीं। मैंने एक खजांची रख छोड़ा है, जिससे मैं जितने भी नकद रुपये की माँग करूँ मुझे फौरन ला कर दे देता है। फिर भी कभी कभी ATM जाना आवश्यक हो जाता है। 

अब चूँकि रुपये पास में रखना चलन से बाहर हो चला है तो कभी कभी यूँ भी होता है कि घर में हज़ार रुपये कैश भी नहीं मिलते। ऐसे ही एक सुबह करीब सात बजे रुपये की सख्त जरूरत ने मुझे ए टी एम के द्वार ले जाकर खड़ा कर दिया। एटीएम पर मेरे सिवा कोई नहीं था। आस पास पड़ोस में भी काफी सन्नाटा था। तरह तरह की कहानियाँ सुनने को मिल चुकी हैं, तो मन एक आशंका से भर उठा। किसी ने पिस्तौल दिखा कर रुपये / ए टी एम छीन लिया तो? या किसी और प्रकार का छद्म मायाजाल रचा गया हो तो? जैसे कि पासवर्ड ट्रैकिंग वगैरह वगैरह।

पर ओखली में सर डालना मजबूरी थी, डाल दिया। मेरे जैसे अपनी ही मस्ती या कहो विचारों में डूबे इंसान के लिये ए टी एम पर सतर्कता बरतना पायलट बनने के लिये दी जानी वाली परीक्षा सरीखा हो जाता है। मैंने पूरी चतुराई और सतर्कता के साथ पैसे निकाले, बीच बीच में पीछे दरवाजे पर भी नज़र डाली, कि कहीं कोई घात लगा कर तो नहीं बैठा है।  फिर मशीन ने जब अपने सामने खड़े याचक को उसकी जरूरत भर के रुपये उगल दिए तो याद से मैंने ए टी एम निकाल कर कैश के साथ अपने पर्स में उदरस्थ कर लिया। 

अब जैसे ही पीछे मुड़ी तो देखा, एक कम वय का लड़का, लगभग 21-22 साल का मेरे ए टी एम से निकलने की ही प्रतीक्षा कर रहा है। पता नही क्यों मुझे मेरी छटी इंद्री ने कहा कि दाल में कुछ काला है। 

मैं जल्दी से अपनी स्कूटर पर आकर उसमें चाभी लगा कर उड़ने की फिराक में ही थी कि उस लड़के ने ए टी एम से बाहर निकल कर एक कार्ड दिखा कर पूछा," एक्सक्यूज़ मी, ये आपका कार्ड है? " 

मैं जैसे इस प्रश्न की ही प्रतीक्षा कर रही थी। मुझे लग रहा था कि ये कुछ ऐसा ही करेगा। मैंने मुस्कुरा कर कहा, " नहीं ये मेरा नहीं है।" जैसे किसी ने मेरे लिये चक्रव्यूह रचा हो, पर मैं विजयी होकर निकल आयी हूँ, उसी प्रसन्नता के साथ मैंने अपने चेतक में किक लगाई और वहाँ से निकल गयी। 

मगर मन में फ्रॉड का संशय बना रहा। कुछ दूर जाकर स्कूटर रोक कर मोबाइल निकाला और मैसेज चेक किया। ईश्वर का धन्यवाद है कि कोई भी अन्य पैसा निकालने जैसा मैसेज नहीं था। 

दरअसल मेरी एक कलीग ने ऐसी ही एक घटना बताई थी। जो कुछ मेरे साथ गया, उनके पड़ोस में रहने वाली एक उम्रदराज़ महिला के साथ भी हुआ था। परन्तु वो उसके झाँसे में आ गयीं थीं, और उन्होंने अपना कार्ड निकाल कर फ्रॉड के हाथ में दे दिया था। उसने उनका कार्ड बदल दिया था। पिन शायद उसने पीछे खड़े रहकर गौर कर लिया होगा। इसके बाद उनके घर पहुँचते पहुँचते एक बार 40000 रुपये और थोड़ी देर बाद 20000 रुपये उनके एकाउंट से निकल गये। घर पहुँचने पर जब उन्हें पता लगा होगा तब उन्होंने कार्ड ब्लॉक करवाया। 

अब इसी घटना के मेरे दिमाग़ में रहने के कारण मेरा दिमाग पहले से ही सतर्क था। दरअसल ये फ्रॉड महिलाओं, बुजुर्गों को टारगेट करते हैं, जिन्हें थोड़ा कार्ड वगैरह के बारे में कम जानकारी होती है। और अगर सुनसान जगह पर इन्हें इनका शिकार मिल जाये तो कहना ही क्या।


मैंने ये बात यहाँ इसलिए शेयर की है, पता तो हम सबको होता है, खबरें भी हम पढ़ते रहते हैं पर दिमाग की बत्ती कभी कभी लुटने के बाद जलती है। 

टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ। 

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