पूर्ण और शुद्ध दुःख
असंभव है मानव देह में
पूर्ण और शुद्ध आनंद
भी संभव नही इस देह में !
भाप बने अणु त्याग देते हैं
खौलते द्रव के तट को
पराकाष्ठा को प्राप्त करते हैं
गतिज ऊर्जा के वेग से !
न पूर्ण रूप से दुःख में खौलने देगा
न ही आनंद के पलों में उबाल देगा
मोक्ष के मार्ग से भटकाया है
चतुर अभौतिक वैज्ञानिक ने !
©® Twinkle Tomar Singh
Nice one
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