मैं एक बार बस से सफर कर रही थी। बड़ी खुश थी कि मुझे मेरी मनपसंद जगह पर विंडो वाली सीट मिल गयी थी। मन बहुत आह्लादित था कि ठंडी हवा के झोंके मेरे चेहरे को छुयेंगे और मुझे बाहर प्रकृति के नज़ारे देखने को मिलेंगे। तभी एक साउथ इंडियन सी दिखने वाली लड़की मेरे पास वाली खाली सीट पर आकर बैठ गयी। पड़ोस में बैठी वो साउथ इंडियन लड़की जो कि शायद तमिल थी कहने लगी "आई वोमिट,आई वोमिट। विंडो सीट पर हम बैठेगा।" मैंने मना कर दिया। तो वो मुझसे तेज आवाज में लड़ने लगी। " हमको विंडो सीट चाहता, आई वोमिट, आई वोमिट।" "चल हट बहानेबाज़।"मैंने मुँह बिचकाते हुये कहा। उसे परे हटा दिया।
फिर वो शांत हो कर बैठ गयी। उसने पर्स से निकाल कर कुछ पानी से घूंटा और फिर दूसरी ओर देखने लगी।
थोड़ी देर पता नही क्या हुआ, शायद गर्मी के कारण मुझे ही उल्टियाँ होनी लगीं। खिड़की के बाहर मुँह लटका कर मैं वोमिट करने लगी। मैंने मन में सोचा, " कमीनी की नज़र लग गयी मुझे।" मैं उल्टी कर कर के बेहाल होती जा रही थी। सारे नज़ारे सारी ठंडी हवा का मज़ा काफ़ूर हो चुका था। वो तमिल लड़की बड़े ध्यान से मेरी ओर देख रही थी। फिर उसकी पेशानी पर चिंता की लकीरें सी उभर आई। शायद वो थोड़ा झिझक रही थी क्योंकि अभी कुछ देर पहले मेरा और उसका सीट को लेकर तगड़ा झगड़ा हुआ था। आखिर उससे ज़्यादा देर रुका नही गया। तब उस लड़की ने कहा,"तुमको वोमिट होता, तुम हमको पहले बताता, हम सीट के लिये नही लड़ता"। फिर उसने मुझे अपने पास से उल्टी रोकने वाली दवाई दी,ग्लूकोज़ दिया। मेरी पीठ पर सहलाया।
उसके स्नेहिल स्पर्श ने मुझे अंदर तक हील कर गया। मानवता का एक प्रेम भरा स्पर्श सारी व्याधियों, सारी मानसिक क्लेश को हरने वाला होता है। थोड़ी देर में मेरी तबियत संभल गयी। बाद में मैंने उससे ख़ूब बातें की। वो अपनी अधकचरी हिन्दी में अपने बारे में अपने राज्य के बारे बहुत सारी बातें बताती रही। हमारा सारा रास्ता कितनी जल्दी कट गया हमें पता ही नही चला और हम बहुत अच्छे दोस्त बन गये।
आज भी वो मुझे मिलती है तो टूटी फूटी हिन्दी में तमिल एक्सेंट में मेरे साथ गाना गाती है" तेरे जईसा यार कहाँ,कहाँ अइसा याराना,याद करेगा दुनिया,तेरा मेरा अफ़साना..." ये फ्रेंडशिप डे उसी को समर्पित है।
©® टि्वंकल तोमर सिंह
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