जिन्हें चाहिए क्रांति का दावानल
उनके हिस्से आएंगे तिनके और पत्थर
वो आग जलाएंगे
और पत्थर भीतर रख लेंगे पल पल
जिन्हें नहीं कुछ विशेष अग्नि की चाह
उन्हें भी मिलेंगे तिनके और पत्थर
वो पत्थर पूजेंगे
और तिनके चूल्हे में जलाएंगे सकल
यही दावानल बढ़ने पर कहेंगे
आह...कितना पक्षपात है संसार में !
~टि्वंकल तोमर सिंह,लखनऊ।